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सुमेरु छंद1222 1222 122डगर अपनी अभी उलझी नहीं है,मिली मंजिल न थी लेकिन कहीं है,सफर ये जिंदगी माना कठिन था,चली

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ऑपरेशन सिंदूर

सिंदूर ने सिंदूर का,क्या गजब सिला लिया।नाराजगी तो बाकी है,अभी तो बस गिला किया। खफा जो हम हो गए तो,नाराज

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माहिया छंद

माता रानी को मेरा एक प्रयास समर्पित 🙏🏻🙏🏻 माहिया छंद आयी शेरों वाली,दर्शन देने को,भरने झोली खाली। दुर्गा, नैना, काली,मेरी

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प्रथम नवरात्रि, माता शैलपुत्री की कथा

नव दुर्गा की प्रथम स्वरूपा,प्रथम रूप शैलपुत्री मां।पर्वतराज हिमालय सुता,कहलायी शैलपुत्री मां।नवरात्रि के प्रथम दिवस में,मां शैलपुत्री का पूजन होता

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हाइकु

नीला गगनएक पंछी आजादउड़ता चला। एक तिनकादबाकर चोंच मेंनीड़ के लिए। वृक्ष की डालहरे पत्तों से भरीफलों से लदी। घोंसला

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गज़ल

गज़ल बहर – 212 212 212 212 काफिया – अने (व्यंजन काफिया) रदीफ़ – लगी वक्त ने जब कहा मैं

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