प्राकृतिक अनुराग
प्राकृतिक अनुराग ये कुदरत की सुन्दरता को देखकर , जी चाहता हैं इसे अपने शब्दों में सजों लूँ। प्राकृतिक सौन्दर्य […]
प्राकृतिक अनुराग ये कुदरत की सुन्दरता को देखकर , जी चाहता हैं इसे अपने शब्दों में सजों लूँ। प्राकृतिक सौन्दर्य […]
हो रहा आगाज अब,ऋतुराज बसंत का।कोहरा छटता शनै: शनै:,शीत के अंत का।रंग घुलने लगा है,शीतल हवाओं में।संगीत सुनाई दे रहा
सरस्वती वंदना”हे भारती, वागेश्वरी, हे शारदा, हंसवाहिनी,हे वाग्देवी, महाश्वेता, हे ज्ञानदा, वीणावादिनी।हे वीणापाणी, वागीश्वरी, मां सरस्वती नमोस्तुते,हे ज्ञान दायिनी, अज्ञान