Merikalamse

January 2025

कविताएँ

संवाद प्रेम का

ये हवा, क्या कहे,इस तरह, क्यूॅं बहे।छू कभी, मन जरा,गुदगुदा, तन जरा।   कह रही, भावना,हृदय की, कामना।बज रही, रागिनी,सज

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