Merikalamse

शब्द भाव जब मिलें

शब्द भाव जब मिले

वक्त कुछ तन्हा सा था,
खामोशी कुछ कहने लगी।
कवि मन बेकल हुआ,
मन में एक आस जगी।
आस भाव बन के तब,
शब्द के आगोश में।
जा मिले कवि मन के वो,
एक वृहत शब्दकोश में।
शब्द शब्द जब मिले,
पंक्तिबद्ध होने को।
कवि मन का एक नया,
बीज जग में बोने को।
बीज आकृति पाने को,
स्याही से तब जा मिला।
स्याही कलम में समा गई,
उसे कलम का साथ मिला।
कलम की उस स्याही से,
शब्दों की पंक्ति बनी।
शब्द भाव जो मिले,
एक नई कविता बनी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top