भ्रूण की पुकार

माँ ओ माँ ,
आवाज सुन तो रही हो ना माँ। आवाज भले ही ना सुनो , पर मुझे महसूस तो कर रही हो ना माँ। मैं तेरे अन्दर से तेरा अंश बोल रही हूँ माँ। अजन्मी हूँ अभी , जन्म दे-दे ना मुझे ;ये विनती कर रही हूँ माँ। मुझे गर्भ में ही ना मार देना माँ। बेटा ना सही ;बेटी ही सही , पर तेरा अंश हूँ मैं माँ। बेटे को अपनी बाहों में सुलाना चाहें तू , मुझे अपनी बातों से ही बहला देना माँ। बेटे को अपने हृदय से लगा कर लाड लगाना चाहें तू , मेरे तो सिर को ही अपने हाथों से सहला देना माँ। बेटे को अपनी बाहों में झुलाना चाहें तू , मुझे अपनी गोदी में सिर रखकर सोने ही देना माँ। बेटे को अपनी आँखों का तारा कहना चाहें तू , मुझे देखकर तो बस एक बार मुस्कुरा देना माँ। बेटा भले ही तेरा वंश आगे बढ़ायेगा , पर अंश तो मैं भी कहलाऊँगी ना माँ। बेटा तो सारी जिन्दगी तेरे साथ रहेंगा , पर मैं तो तेरी दहलीज से विदा हो न जाऊँगी माँ। पिता से पहले तेरा अंश हूँ मैं माँ , महसूस तो कर रही हो ना माँ। अजन्मी ही सही , आज अगर जन्म दे-दे तू ;तो कल की जननी हूँ मैं माँ। सुन तो रही ही ना माँ , महसूस तो कर रही हो न माँ। माँ मेरी माँ ;मैं तेरा अंश बोल रही हूँ माँ।