Merikalamse

यादों में लेखक

                                               

yaadon men lekhak,kore kagaj per bikhre shabd

  काफिलें गुजर जाते हैं ,कदमों के निशान रह जाते हैं बाकि ,
  मंजिलों  के राही खो जाते हैं , पर रास्ते रह जाते हैं बाकि,    

ऐसे   ही  खो  जाते  हैं  कुछ अन्जाने  से लेखक  कहीं ,
सारी  उम्र  कागज और कलम  का  साथ  निभाते  हुए ,
रह जाते हैं कोरे -कागजों  पर सूखती स्याही के चंद शब्द कहीं ,

या  रह  जाती  हैं  बिखरे  पन्नों  पर  उनकी  यादें  बाकि। 

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