
काफिलें गुजर जाते हैं ,कदमों के निशान रह जाते हैं बाकि ,
मंजिलों के राही खो जाते हैं , पर रास्ते रह जाते हैं बाकि,
ऐसे ही खो जाते हैं कुछ अन्जाने से लेखक कहीं ,
सारी उम्र कागज और कलम का साथ निभाते हुए ,
रह जाते हैं कोरे -कागजों पर सूखती स्याही के चंद शब्द कहीं ,
या रह जाती हैं बिखरे पन्नों पर उनकी यादें बाकि।