आँचल गर लहराकर ,
हवाओं से बातें करे।
जुल्फें जो उड़कर ,
चेहरे पर बिखरने लगे।
दिल की धड़कने जब ,
खुद को सुनाई दे।
जागती आँखों में जब ,
कोई सपना सजने लगे।
किसी की आहट पर जब ,
यूँ लगे कि कोई आया हैं।
होने लगे ये एहसास जब ,
कुछ खोया या कुछ पाया हैं।
यूँ लगे जब समझने लगें ,
हम भाषा नजरों की।
या निभाने लगे हम ,
साथ अपनी तन्हाइयों का।
क्या कहिये जो दिन,
ख्यालों में गुजरने लगे।
क्या कहिये जो राते ,
नए सपने सजाने लगे।
जब लगे चाँदनी ,
रातो को सहलाने।
दिल लगे बनाने ,
रातो को जगने के बहाने।
क्या नाम दूँ मैं ,
इन सारे एहसासों का ,
शायद ये आगाज हैं ,
दिल में पनपने वाली मोहब्बत का।