आप मेरा संसार हो,
मैं संसार में व्याप्त चेतनता।
आपकी भावनाएं संसृति की बयार,
मैं संग उड़ूं बनकर आंचल।
आप अनंत जलराशि हो,
मैं जलराशि के अंतस्तल की उर्मि।
आप अगर हो विधु समान,
तो मैं रश्मि रूपी मुग्धा।
आप अगर हो प्रेमी अली,
तो मैं पुष्प की अंजलि।
आप परिचय हो मेरा आज,
मैं स्वयं में अनजान अज्ञात।
आप मेरी कविता के शब्द हो,
मैं शब्दों में अंतर्हित भाव।
मुझे विस्मृत मेरा नाम,
आप बनो मेरा उपनाम।
मुझे प्रिय है स्मित रेखा,
आप मेरे होठों की मधुर मुस्कान।
हम दोनों हैं दीपक और बाती,
जनम – जनम के जीवनसाथी।