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पुलवामा के शहीदों को शब्द श्रद्धांजलि

2019 में 14 फरवरी को जहां एक ओर दुनिया भर में सभी लोग वेलेंटाइन डे मना रहे थे। वहीं उसी दिन हमारे देश ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 40 जवानों को एक साथ खोया था। भारत भूमि की रक्षा करते हुए 40 वीर सैनिक एक साथ शहीद हुए थे। एक साथ 40 लाल भारत मां के अंक में समा गए थे। और 14 फरवरी को प्यार के कई रंगों में शहादत का रंग शामिल हो गया। आज 14 फरवरी को मैं सभी शहीदों को याद करते हुए अपने कुछ शब्द उन्हें समर्पित करती हूं।

ना गीत लिखूं, ना गजल लिखूं,
ना तेरे वियोग में विरह गीत लिखूं।
तेरी शान के लिए होकर कुर्बान ऐ मेरी ज़मीं,
मैं तिरंगे में लिपट कर नित नया इतिहास लिखूं।
मैं ना रांझा अपनी हीर का,
ना मजनू अपनी लैला का।
मुझे मोहब्बत अपने वतन के जर्रे – जर्रे से,
मैं सच्चा आशिक अपने वतन की माटी का।
ओ माई मेरी हैं एहसान तेरा,
जो खुद से जुदा कर भेजा सरहद पर।
विजय पताका फहराते हुए कभी शहीद हुआ जो तेरा लाल,
मां तुझे कसम है मेरी कभी आंसू ना बहाना मेरी शहादत पर।
सुन जान मेरी मुझे प्यार ना कर,
क्यों वर्दी के भीतर धड़कते दिल की चाहत करती है।
मैं शायद मर कर भी तेरा हो ना सकूं,
क्योंकि मेरी ज़मीं मेरी रूह की गहराई तक बसती है।
क्या इश्क़ करेंगे ये आशिक गुलाब के फूलों से इजहार करने वाले,
क्या इश्क़ निभाएंगे यह चांद तारे तोड़ने का झूठा वादा करने वाले।
आ देख कभी सरहद पर आकर हमको,
हम रखवाले इस सरहद के, इसकी शान में लहू बहाने वाले।
क्या इश्क – ए – इजहार का दिन था वो यारा,
जब हम चालीस अपना वादा निभा गए।
जिस्म का कतरा – कतरा जब बिखर रहा था,
हम अपने लहू से धरती का श्रृंगार कर गए।
जब कहीं प्रिय, कहीं प्रेयसी इजहार – ए – मोहब्बत कर रही थी,
हम सब भारत मां के सपूत एक साथ भू अंक में समा गए।

हेमा आर्या “शिल्पी”
अल्मोड़ा उत्तराखंड
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित

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