खामोशी

गर ख़ामोशी हैं साथ तुम्हारे ,
नहीं खामोश तुम स्वयं को मानो।
पढ़कर देखो नजरों की भाषा। ख़ामोशी का मतलब तो जानो।
तन्हाई में खोकर तो देखो ,
ये हमसे बातें करती हैं।
आँखों को एक सपना देकर ,
होठों पर मुस्कराती हैं।
भावनाओं की दुनिया में ,
ख़ामोशी भी बोलती हैं।
गर कशिश हो नजरों में तो , तस्वीरें भी बोलती हैं।
खामोश लबों में बिखरी मुस्कान भी ,
कभी -कभी राज दिलों के खोलती हैं।