एक बूँद आँखों से छलकें तो , आँसू कहलाती हैं। जिसमें दर्द हैं ,याद हैं ,पीड़ा हैं या कसक हैं। एक बूँद जो आसमान से गिरे तो , वर्षा कहलाती हैं , सावन की या भादों की। एक बूँद जो आसमान से गिरकर तिनके पर रुकी तो , ओंस कहलाती हैं , उसमें शीतलता हैं, सुंदरता हैं ,चमक हैं , एक बूँद जो माथे पर दिखे तो , पसीना कहलाती हैं , जिसमें थकान हैं ,परेशानी हैं। एक बूँद जो सागर से छिटकी हैं , वो सागर से तिरस्कृत हैं ,माटी में विलीन हैं। यहीं सब बूँदें अगर आपस में मिल एक हों जाएं , तो क्या आप बता सकते हैं ? कि कौन -सी बूँद आँसू हैं ? कौन -सी बूँद वर्षा हैं ? कौन -सी बूँद ओंस हैं ? कौन -सी पसीना हैं ? नहीं ना , तब इन बूंदों का एक रूप ,एक ही आकार हैं। और सागर में मिलकर सागर का ही विस्तार हैं। कैसे खो देती हैं बूँदें अपना अस्तित्व आपस में मिलकर। कहती हैं सागर से कि ,सागर के अस्तित्व में उनका भी सहयोग हैं, और छोटी -छोटी बूँदें सागर बन जाती हैं सागर में ही रहकर।